Pages

Tuesday, May 5, 2015

पहली मुलाकात



ये मेरी अप्रकाशित नोवल का अंश "मेरी मंजिल का सफ़र" के बीच से लिया गया है पढियेगा जरूर !



श्याम -सुबह का समय श्याम इंतजार मैं बैठा हुआ की मेघा कब ओन लाइन और कब बात करूँगा एक अजीब सी उलझन मन मैं ऑफिस वर्क करते हुए बार-बार मोबाइल में देखना फिर काम करना मानों इस तरह लग रहा था जैसे सालो बीत चुके है हमें बातें करते हुए।

मेघा- हैलो कैसे हो में अभी -अभी कॉलेज से आ रही हूँ आते ही मोबाइल पर आप का मैसेज देखा मैं खाना खा के तुम से बात करती हूँ।

श्याम - हैलो मेघा खा लिया खाना

मेघा- हम्म

श्याम - मेघा आज मैने सुबह से तुम्हारा इंतजार किया पता नही कितनी बार मोबाइल में आँखे गड़ाई सोचा अब तो आया होगा ये मैसेज पर ये मोबाइल भी आज खाली डिब्बे की तरह नजर आ रहा था।

मेघा - ओह्ह्ह्ह पता है न आप को मेरा मैं दिन में कॉलेज मैं होती हूँ और अब बताओ आज ऐसा क्या हो गया अचानक मेरे मैसेज का इंतजार कर रहे थे।

श्याम - मेघा शाम को फ़ोन पर बताऊंगा अभी मैं काम कर रहा हूँ।

मेघा - ओके ठीक हैं मैं इंतजार करुँगी ६ बजे का

श्याम - शाम होते ही श्याम सोचता है की बात करू तो कैसे करू और कहु तो क्या कहु कुछ समझ नही आ रहा था और ६ बज चुके थे पार्क में बैठा हुआ साथ मैं साथ देने को मध्यम आवाज में गीत चल रहे थे किशोर कुमार और रफ़ी के काफी देर तक सोचने के बाद मन बना लिया की बात करू फ़ोन मिलाया घंटी बजते ही मेघा ने फ़ोन उठा लिया।

मेघा - हैलो

श्याम - हैलो कह कर फ़ोन काट देता

श्याम - अगले दिन सॉरी कल मैं बात नही कर पाया

मेघा - श्याम तुम कितने भोले टाइप के हो मुझे बड़ी हसी आयि जब तुम ने हैलो कह कर फोन काट दिया कुछ नही हो सकता चलो रहने दो और बताओ क्या चल रहा है।

श्याम - मन ही मन हँसते हुए कुछ नही बस ऑफिस का काम

मेघा - तुम इस दिवाली में घर आ रहे हो ना

श्याम - सोचा तो है

मेघा - ठीक है में तुम्हेँ उसी दिन बस स्टेसन में मिलूंगी मुझे भी घर जाना है कुछ देर मिलकर मैं भी निकल जाउंगी घर को तुम किस समय तक आओगे मुझे फ़ोन कर लेना

श्याम - ओके ठीक है शायद मैं सुबह तक आऊंगा पर समय का नही पता कब तक

मेघा - ओके ठीक है मिल के बात करते है फिर

श्याम - निकल पड़ा घर को और सुबह होते ही मेघा से भी मिलना है पर पुरे रात के सफर में हालत ख़राब हो रखी है फ्रेश हो कर मिलता हूँ।

श्याम - हैलो मेघा में बस स्टॉप खड़ा हूँ तुम कहा हो अभी

मेघा- हैलो मैं घर मैं तुम इंतजार करो कुछ देर तक अच्छा सुनो तुम ने स्वेटर की रंग की डाली है।

श्याम - ओके ठीक है जल्दी करना मुझे आगे का सफर और करना है मैने लाल रंग की स्वेटर पहनी है जब की मैने इस रंग कोई स्वेटर नही पहनी थी मुझे मेघा को तंग करना था कि वो मुझे दूर से न पहचान सके

मेघा- कहा हो तुम मुझे कही नजर नही आ रहे हो

श्याम - आँखों से नही दिल से ढूढ़ो आस -पास ही हूँ

मेघा- अचानक नजर मेरे पड़ी और वही बोलना सुरु कर दिया तुम ने तो कहा था की मेने लाल रंग की स्वेटर पहनी झुटे लाल रंग का तो तुम्हारा बैग है क्या लाये हो इतने बड़े बैग में वो माय गॉड कितना भारी है।

श्याम - अरे यहाँ पर कही बैठने की जगह नही है क्या

मेघा - नही ये बुहत छोटा शहर है चलो बात करते -करते मार्किट घूमते है

श्याम - अरे यहाँ हर रोज इतनी भीड़ होती है क्या

मेघा - नही आजकल दिवाली की वजह से ये सब भीड़ है तुम कितने दिन रहोगे घर

श्याम - दीपावली के दो दिन बाद वापसी फिर तुम से जो मिलना है फिर आराम से सारी बातें करंगे चलो अभी निकलते है अपने- अपने सफर की तरफ।

मेघा - ओके पर तुम्हें यहाँ से बस नही मिलेगी तुम्हे टैक्सी करनी पड़ेगी में देखती हूँ तुम यही खड़े रहना

श्याम - अरे तुम में निकल जाऊँगा तुम फिकर न करो

मेघा - हा हा तुम्हारे साथ ये ३ लड़कियाँ जो हो अच्छा निकलेगा आप का सफर

श्याम - हाहाहाहाहा चलो फिर मिलता हूँ।

मेघा - ओके घर जाकर फ़ोन करना मत भूलना इनके चक्कर मैं और इनके के साथ ज्यादा चेप मत होना।

श्याम - ओके ओके तुम भी ध्यान से जाना बाई

इसी तरह मेघा और श्याम निकल जाते है अपने- अपने सफर की तरफ

आगे जारी है..........।

बडी याद आती है हमें तेरी वो हर बात,
खुबसूरत सी हमारी वो पहली मुलाकात।।

सभी मित्रो से आग्रह करूँगा अपनी प्रतिक्रियाएं जरूर दें इन्तजार रहेगा !

-श्याम जोशी ! Shyam Joshi

       

(सर्वाधिकार सुरक्षित )